आइये जानते हैं बैक्टीरिया क्या होते हैं (bacteria kya hai)। प्रकृति में हर तरह के जीव मौजूद हैं। कुछ जीव बहुत ही बड़े होते हैं तो कुछ इतने छोटे कि उन्हें आसानी से देखा भी नहीं जा सकता।
कुछ जीव हमें फायदा पहुंचाते हैं तो कुछ सिर्फ नुकसान ही पहुंचाते हैं। लेकिन हमारे आसपास कुछ ऐसे भी जीव हैं जो हमें फायदा और नुकसान दोनों पहुंचा सकते हैं।
बैक्टीरिया क्या होते हैं? (bacteria kya hai)
ऐसे ही बहुत छोटे जीव होते हैं बैक्टीरिया, जो इतने छोटे होते हैं कि इन्हें खुली आँखों से देख पाना संभव नहीं होता और इन्हें देखने के लिए माइक्रोस्कोप की जरुरत पड़ती है।
ये एक कोशिकीय जीवाणु बहुत-सी बीमारियों को फैलाने का काम भी करते हैं, तो बहुत से अच्छे जीवाणु हमारी सेहत को लाभ पहुंचाने में सहयोग भी करते हैं।
बैक्टीरिया हमारे आसपास के वातावरण में यानि सतहों पर, हवा, पानी और मिट्टी में पाए जाते हैं। यहाँ तक कि ये हमारे भोजन में भी मौजूद होते हैं।
ये जीवाणु हमारी स्किन, मुँह, पेट और आँतों में भी रहते हैं और हमारी आँतों में रहने वाले बैक्टीरिया रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं को ख़त्म कर देते हैं और हमारे शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मददगार होते हैं।
इसके अलावा शरीर में एंजाइम और विटामिन के निर्माण में भी इनकी ख़ास भूमिका होती है। आइये, अब जानते हैं बैक्टीरिया के प्रकार के बारे में।
जीवाणुओं को इनके आकार और इनके कार्यों के अनुसार अलग-अलग कैटेगरी में बांटा जाता है।
1. कोकाई
इस प्रकार में आने वाले बैक्टीरिया का आकार गोल होता है। जब ये बैक्टीरिया गुच्छों या समूहों में बढ़ते हैं तो इन्हें ‘स्टेफिलोकोकाई’ कहा जाता है और जब जोड़ों के रूप में बढ़ते हैं तो इन्हें ‘डिप्लोकोकाई’ कहा जाता है।
इसी तरह कुछ कोकाई शरीर में होने वाली बीमारी के नाम से जाने जाते हैं जैसे न्युमोनिया करने वाले कोकाई न्युमोकोकाई कहलाते हैं और बीमारी पैदा करने के साथ उसमें पीप बनाने वाले कोकाई पीपजनक जीवाणु (Pyogenic Organisms) कहलाते हैं।
कोकाई और उनसे होने वाले रोग-
- स्टेफिलोकोकाई – बोइलस, ओस्टियोओमाईलाइटिस, ओटाईटिस, सेप्टीसिमिया जैसे रोग।
- स्ट्रेप्टोकोकाई – स्कारलेट बुखार, मस्तिष्क का बुखार, टॉन्सिलाइटिस जैसे रोग।
- न्युमोकोकाई – लोबर और ब्रान्को प्रकार का न्युमोनिया, मेनिन्जाइटिस जैसे रोग।
- मेनिन्गोकोकाई – मेनिन्जाइटिस (मस्तिष्क का बुखार)
- गोनकोकाई – गोनेरिया, युरेथ्राइटिस जैसे रोग।
2. बेसिलाई – बैक्टीरिया का ये प्रकार गोल होने की बजाये छड़नुमा होता है। ये क्षय रोग, डिफ्थीरिया और टाइफाइड जैसे रोग पैदा करते हैं। इन्हीं रोगों के आधार पर बेसिलाई बैक्टीरिया को अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
बेसिलाई और उनसे होने वाले रोग-
- क्षयरोग बेसिलाई – फेफड़ों, ग्रंथि और अस्थियों का क्षय रोग
- कोलीफॉर्म बेसिलाई – मेनिन्जाइटिस,पेरिटोनाइटिस, सिस्टाइटिस जैसे रोग
- परट्यूसिस बेसिलाई – कुकर खांसी
- डिफ्थीरिया बेसिलाई – न्यूराइटिस, डिफ्थीरिया जैसे रोग
- टाइफाइड बेसिलाई – टाइफाइड, एन्टरिक बुखार जैसे रोग
- डिसेन्ट्री बेसिलाई – पेचिश
- साल्मोनेला बेसिलाई – फूड पॉइजनिंग
- इन्फ्लूएंजा बेसिलाई – इन्फ्लूएंजा, प्रमस्तिष्क बुखार
- टेटनस बेसिलाई – टेटनस रोग
3. स्पाइरोकिट्स – इस ग्रुप के बैक्टीरिया बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ये कोकाई और बेसिलाई समूह के जीवाणुओं से आकार में बड़े होते हैं और इनका शरीर मुड़ा हुआ होता है।
इस ग्रुप के बैक्टीरिया तुलनात्मक रूप से कम बीमारियां पैदा करते हैं लेकिन सिफलिस जैसी गंभीर बीमारी भी इसी समूह द्वारा पैदा की जाती है।
स्पाइरोकिट्स बैक्टीरिया और उनसे होने वाली बीमारियाँ-
- ट्रेपोनेमा पैलिडम – सिफलिस
- लेप्टोस्पाइरा इक्टेरोहेमरेजिया – विल्स बीमारी
- बोरेलिया विंसेंटाई – गले और मसूड़ों के घाव
दोस्तों, अब आप जान चुके हैं कि बैक्टीरिया बहुत ही सूक्ष्म जीव होते हैं और ये हमारे लिए फायदेमंद और नुकसानदेह दोनों ही होते हैं। साथ ही आपने आकार और कार्यों के अनुसार इनके प्रकारों के बारे में भी जान लिया है।
उम्मीद है जागरूक पर बैक्टीरिया परिभाषा, बैक्टीरिया क्या होते हैं (bacteria kya hai) कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आपके लिए फायदेमंद भी साबित होगी।