आइये जानते हैं श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व क्या है। श्रीमद्भगवद्गीता हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में से एक विशेष ग्रन्थ रहा है जो वर्तमान में भी हमारी समस्याओं के हल निकालने में सहायक साबित होता है।
इस ग्रन्थ में हजारों सालों पहले दिए गए ऐसे उपदेशों का संग्रह है जो आज भी जीवन से जुड़े हर मसले को सुलझाने में मदद करते हैं और सही दिशा में चलने का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं।
ऐसे में आपको भी इस ग्रन्थ से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी जरुर लेनी चाहिए। तो चलिए, आज जानते हैं श्रीमद्भगवद्गीता के महत्त्व के बारे में।
श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व
श्रीमद्भगवद्गीता का आधार महाभारत का युद्ध रहा है जो दो राज्यों के बीच ना होकर दो परिवारों के बीच हुआ। इस भीषण युद्ध का गवाह इतिहास है और इस युद्ध का उद्देश्य था धर्म की पालना और सत्य की जीत को स्थापित करना।
श्रीमद्भगवद्गीता के अध्यायों में सबसे प्रसिद्ध अध्याय श्रीकृष्ण और राजकुमार अर्जुन के बीच युद्ध शुरू होने से पहले हुए वार्तालाप का है, जो व्यक्ति को मुश्किल से मुश्किल हालात में डटे रहने और सत्य की राह चुनने का सन्देश देता है।
महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में आरम्भ हुआ, जहाँ दोनों पक्ष हमला करने को तत्पर खड़े थे। उस समय महान धनुर्धारी अर्जुन के हाथ कांपने लगे और वो महान योद्धा अचानक अपने हथियार छोड़कर कोने में जाकर बैठ गया।
ऐसी मुश्किल स्थिति को भांपकर श्रीकृष्ण ने अर्जुन से मन ही मन बात करके उनके द्वन्द्व को दूर किया।
वो संवाद बहुत कम समय का था जिसमें श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का सार दे दिया, जिसमें उन्होंने अर्जुन को बताया कि ये युद्ध उन्हीं की लीला है जो धर्म और सत्य की स्थापना के लिए अति आवश्यक है। अर्जुन को अपने कर्तव्य का पालन करते हुए युद्ध करना चाहिए।
आइये, अब आपको गीता के सन्देश बताते हैं-
पुनर्जन्म – जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है और जिसकी मृत्यु हुयी है उसका पुनर्जन्म भी निश्चित है।
ईश्वर – ईश्वर एक अदृश्य शक्ति है जिससे संसार की उत्पत्ति और पालन होता है। समय-समय पर ईश्वर मानव रुप में अवतरित भी होते हैं।
आत्मा – आत्मा एक अजर अमर तत्व है जो ईश्वर के अंश के रुप में प्रत्येक जीव के अंदर उपस्थित है।
कर्म सिद्धांत – प्रत्येक जीव नियति द्वारा निर्धारित किये गए कार्य को पूरा करे और इसके परिणाम की चिंता ना करें।
त्रिगुण – संसार के प्रत्येक कार्य, विचार और धारणा को सत, रज और तम में वर्गीकृत किया जा सकता है।
मैत्रीभाव – प्रत्येक प्राणी का ये सामाजिक धर्म है कि वह अपने आसपास उपस्थित सभी प्राणियों के प्रति मैत्रीभाव रखे।
आइये, अब जानते हैं कि वर्तमान परिस्थितियों में गीता सार क्या सन्देश देता है-
जो हुआ अच्छे के लिए हुआ, जो हो रहा है वो अच्छे के लिए हो रहा है और आगे जो होगा, वो भी अच्छे के लिए ही होगा।
परिवर्तन ही संसार का नियम है। कभी सम्पन्नता होगी तो कभी दरिद्रता। कभी सुख होगा तो कभी दुःख इसलिए इस मोह माया से बाहर निकलो और सबके प्रति प्रेम भाव बनाओ।
इस दुनिया में हर व्यक्ति खाली हाथ ही आया था और उसे खाली हाथ ही जाना होगा।
कर्म करो, फल की चिंता मत करो।
संदेह के साथ कभी भी ख़ुशी नहीं मिल सकती है।
मनुष्य के विचार ही उसे ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं और गर्त में भी धकेल सकते हैं।
वर्तमान में भी श्रीमद्भगवद्गीता का कितना महत्त्व है और जीवन को सही दिशा देने में ये ग्रन्थ किस तरह सहायक है, ये आप जान गए हैं।
उम्मीद है जागरूक पर श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आपके लिए फायदेमंद भी साबित होगी।