आइये जानते हैं गर्भाशय कैंसर क्या है। गर्भाशय यानी यूट्रस महिलाओं के प्रजनन तंत्र (रिप्रोडक्टिव सिस्टम) का एक महत्वपूर्ण अंग है। गर्भाशय या बच्चेदानी महिलाओं के गर्भ का वो स्थान है जहाँ जन्म से पहले बच्चा रहता है। जब इस अंग की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं तो गर्भाशय का कैंसर हो जाता है।
ये कैंसर 30 से 35 साल की उम्र की महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है लेकिन ये कैंसर किसी भी उम्र की महिला हो सकता है। 70 में से एक महिला को यूट्रस कैंसर होता है। प्रत्येक पांच महिलाओं में से एक को गर्भाशय कैंसर आनुवांशिक रूप से मिलता है और ये ब्रेस्ट कैंसर के ख़तरे को भी बढ़ाता है।
ऐसे में आपको भी कैंसर के इस रूप के बारे में जरूर जानना चाहिए ताकि आप अपनी सेहत की सुरक्षा कर सकें।
तो चलिए, आज आपको बताते हैं गर्भाशय कैंसर के बारे में।
गर्भाशय कैंसर होने के कारण क्या हो सकते हैं?
गर्भाशय कैंसर का स्पष्ट कारण तो अभी तक ज्ञात नहीं है लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि एस्ट्रोजन हार्मोन का हाई लेवल इसके लिए जिम्मेदार होता है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन अंडाशय में बनने वाले वुमन सेक्स हार्मोन्स होते हैं। इन दोनों हार्मोन्स की मात्रा में असंतुलन होने पर गर्भाशय कैंसर का ख़तरा हो सकता है।
इसके अलावा बहुत से ऐसे कारण भी हो सकते हैं जो गर्भाशय कैंसर का ख़तरा बढ़ा सकते हैं जैसे मीनोपॉज (रजोनिवृत्ति), हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, आनुवंशिकता, दवाओं का ज्यादा सेवन करना, हाई ब्लड प्रेशर रहना, पीरियड्स के दौरान इन्फेक्शन होना, वजन का ज्यादा होना और डायबिटीज होना।
ये भी देखें: ब्लैडर कैंसर क्या है?
गर्भाशय कैंसर के प्रकार कितने होते हैं?
- गर्भाशय सारकोमा
- एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा
गर्भाशय कैंसर की कितनी स्टेजेस होती हैं?
स्टेज 1- जब कैंसर गर्भाशय तक सीमित हो।
स्टेज 2- जब कैंसर गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा में हो।
स्टेज 3- जब कैंसर गर्भाशय से बाहर पेल्विक लिम्फ नोड्स में हो।
स्टेज 4- जब कैंसर पेल्विक क्षेत्र से बाहर फैल जाएँ।
गर्भाशय कैंसर के लक्षण क्या-क्या होते हैं?
- योनि से असामान्य रक्तस्राव होना
- मीनोपॉज के बाद योनि से सफेद पानी आना
- पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग होना
- पीरियड्स का सामान्य से ज्यादा समय तक रहना
- पेट के निचले हिस्से में दर्द होना
- तेजी से यूरिन आना
- बार-बार यूरिन आना
- बहुत ज्यादा थकान रहना
- चिड़चिड़ापन रहना
- पेट ख़राब रहना
- पैरों में दर्द रहना
- कब्ज रहना
- संभोग के दौरान ज्यादा दर्द होना
गर्भाशय कैंसर से बचाव कैसे किया जा सकता है?
• शरीर का वजन संतुलित रखा जाये ताकि एस्ट्रोजन की मात्रा ज्यादा ना बढ़े
• नियमित व्यायाम किया जाये
• आहार में फल और सब्जियों का ज्यादा सेवन किया जाये
• असामान्य रक्तस्राव होने पर डॉक्टर से उपचार लिया जाये
• अपने शिशु को स्तनपान जरूर कराएं
• तम्बाकू उत्पाद और एल्कोहल से दूरी बनाये रखें
• पीरियड्स के दौरान सफाई का ध्यान रखें
गर्भाशय कैंसर का निदान कैसे किया जाता है?
- ब्लड टेस्ट
- यूरिन टेस्ट
- पेल्विक एग्जाम- इसमें गर्भाशय, योनि, मलाशय और मूत्राशय में गांठ की जाँच की जाती है।
- पैप टेस्ट – इस टेस्ट के जरिये योनि के ऊपरी हिस्से और गर्भाशय ग्रीवा में असामान्य कोशिकाओं का पता लगाया जाता है।
- बायोप्सी- इस प्रक्रिया में कैंसर सेल्स को बाहर निकाला जाता है।
- ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड- इस अल्ट्रासाउंड की मदद से गर्भाशय की तस्वीरें लेकर जाँच की जाती है।
गर्भाशय कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है?
गर्भाशय कैंसर के इलाज के लिए भी वही प्रक्रिया अपनायी जाती है जो कैंसर के ज्यादातर रूपों में अपनायी जाती है और उपचार की इस प्रक्रिया में कौन-कौन से तरीके अपनाये जाएंगे, ये मरीज की शारीरिक स्थिति, उम्र, कैंसर की प्रकृति के अनुसार तय किया जाता है। ये प्रक्रियाएँ हैं-
- सर्जरी
- कीमोथेरेपी
- रेडियोथेरेपी
- हार्मोनल थेरेपी
अब आपके पास गर्भाशय कैंसर से जुड़ी सभी जरुरी जानकारियां आ गयी हैं इसलिए अपनी सेहत का ध्यान रखें और किसी भी तरह की असामान्यता दिखाई देने पर डॉक्टर से परामर्श करने में बिलकुल भी संकोच ना करें।
जागरूक टीम को उम्मीद है कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी और अपनी सेहत के प्रति जागरूक बने रहने में सहायक भी सिद्ध होगी।