आइये जानते हैं ऑस्टियोपीनिया क्या है। जिस तरह ऑस्टियोपोरेसिस हड्डियों से जुड़ी एक समस्या है उसी तरह ऑस्टियोपीनिया का सम्बन्ध भी हड्डियों से ही होता है लेकिन ऑस्टियोपीनिया हड्डियों को जो नुकसान पहुंचाता है वो ऑस्टियोपोरेसिस जितना गंभीर नहीं होता है।
ऑस्टियोपीनिया क्या है?
ऑस्टियोपीनिया होने पर हड्डियों में खनिज की मात्रा काफी कम हो जाती है जिसके कारण हड्डियों की सघनता कम हो जाती है और हड्डियों के टूटने का ख़तरा काफी बढ़ जाता है। इससे महिलाएं तुलनात्मक रूप से ज्यादा प्रभावित होती हैं।
ऑस्टियोपीनिया के लक्षण – इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। हड्डियों के पतला होने यानी उनकी सघनता के कम होने पर भी किसी तरह का दर्द नहीं होता है। कई बार तो हड्डियों में फ्रैक्चर हो जाने का भी पता नहीं लग पाता है क्योंकि फ्रैक्चर के समय भी दर्द का अनुभव नहीं होता है।
ऑस्टियोपीनिया के कारण-
- बढ़ती उम्र
- महिलाओं में रजोनिवृत्ति के दौरान हार्मोन में होने वाले बदलाव
- पोषण रहित आहार
- कीमोथैरेपी का प्रभाव
- स्टेरॉइड्स का सेवन
- रेडिएशन के संपर्क में आना
ऑस्टियोपीनिया की सम्भावना को बढ़ाने वाले कारक-
- धूम्रपान
- शराब का ज्यादा सेवन
- व्यायाम ना करना
- वजन बहुत कम होना
- आहार में विटामिन डी और कैल्शियम की कमी होना
- चाय-कॉफी का ज्यादा सेवन
- परिवार में किसी को ऑस्टियोपोरेसिस की समस्या होना
- निष्क्रिय दिनचर्या
- प्रेडनीसोन और फेनिटोइन दवाएं लेना
ऑस्टियोपीनिया से बचाव के लिए क्या करें-
- धूम्रपान और तम्बाकू उत्पादों के सेवन से परहेज करें
- एक्टिव लाइफस्टाइल अपनाएं
- विटामिन डी और कैल्शियम युक्त पौष्टिक आहार लें
- नियमित रूप से व्यायाम करें
- शराब के ज्यादा सेवन से बचें
ऑस्टियोपीनिया होने पर अक्सर दर्द नहीं होता है इसलिए बहुत से लोग इसके इलाज की जरुरत नहीं समझते हैं जबकि वास्तविकता ये है कि इसका इलाज नहीं करवाने पर शरीर की कई हड्डियां टूटने लगती हैं जिसके कारण गंभीर दर्द होने लगता है और ऑपरेशन की नौबत भी आ सकती है।
अगर हिप्स की हड्डी टूट जाए तो असहनीय दर्द होता है जिसे लम्बे समय तक सहना पड़ता है। इससे बेहतर यही है कि इसके इलाज को महत्त्व दिया जाये।
उम्मीद है जागरूक पर ऑस्टियोपीनिया क्या है कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आपके लिए फायदेमंद भी साबित होगी।