आइये जानते हैं राफेल विमान की खासियत के बारे में। राफेल विमान के बारे में आपने जरूर सुना और पढ़ा होगा और आप ये जान चुके होंगे कि हमारे देश की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने में इस विमान का कितना महत्त्व है। ऐसे में आज आपको राफेल विमान से जुड़ी ख़ास बातें जरूर जाननी चाहिए। तो चलिए, आज जानते हैं राफेल विमान की ख़ासियत।
राफेल विमान फ्रांस की विमानन कंपनी दसॉल्ट एविएशन द्वारा बनाया गया है, ये दो इंजन वाला एक लड़ाकू विमान है। इसे gust of wind और burst of fire भी कहा जाता है। राफेल विमान की खासियतों में हवाई हमला, भारी हमला, वायु वर्चस्व, जमीनी समर्थन और परमाणु प्रतिरोध शामिल हैं।
राफेल डील क्या है? – सितंबर, 2016 में भारत और फ्रांस के बीच राफेल विमान खरीदने की फाइनल डील पर सिग्नेचर हुए, जिसके अनुसार भारतीय वायुसेना को 36 अत्याधुनिक लड़ाकू विमान राफेल मिलेंगे और इस डील का पहला विमान 8 अक्टूबर 2019 को वायुसेना दिवस पर भारतीय वायुसेना में शामिल भी हो चुका है।
राफेल विमान की खासियत
- इस विमान को बनाने में 70 मिलियन की लागत आती है।
- इसकी लम्बाई 15.27 मीटर होती है।
- इस विमान में एक या दो पायलट के बैठने की जगह होती है।
- ये विमान ऊँचें इलाकों में लड़ने में भी माहिर होता है।
- ये विमान एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है।
- इस विमान की अधिकतम रफ्तार 2200 से 2500 किमी. प्रति घंटा है।
- इसकी रेंज 3700 किलोमीटर है।
- इस विमान की ईंधन क्षमता 17,000 किलोग्राम है।
- ये विमान अधिकतम 24,500 किलोग्राम का भार उठाकर उड़ सकता है।
- ये विमान ऑप्ट्रॉनिक सिक्योर फ्रंटल इंफ्रारेड सर्च और ट्रैक सिस्टम से लैस है।
- इस विमान में कई ख़तरनाक मिसाइलें लगी होती है जैसे एमबीडीए एमआइसीए, एमबीडीए मेटेओर और एमबीडीए अपाचे।
- इस लड़ाकू विमान में लगी मेटेओर मिसाइल 100 किलोमीटर की दूरी पर उड़ रहे फाइटर जेट को आसानी से मार सकती है।
- ये विमान परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।
- भारतीय वायुसेना द्वारा इस विमान को किसी भी मिशन पर भेजा जा सकता है।
- ये विमान अफगानिस्तान और लीबिया में अपनी ताकत प्रदर्शित कर चुका है।
- इस विमान को भारत की भौगोलिक परिस्थितियों और उसकी जरुरत के अनुसार तैयार किया गया है।
- इस फाइटर एयरक्राफ्ट को लेह-लद्दाख और सियाचिन जैसे इलाकों में भी आसनी से इस्तेमाल किया जा सकता है।
राफेल को चुनने का कारण
राफेल विमान का चुनाव करने से पहले इस डील के लिए कई अंतरराष्ट्रीय विमान निर्माताओं द्वारा भारतीय वायुसेना को प्रस्ताव दिया गया जिनमें से 6 बड़ी विमान कम्पनियाँ चुनी गयी जिनमें लॉकहेड मार्टिन का एफ-16, बोइंग एफ/ए -18 एस, यूरोफाइटर टाइफून, रूस का मिग-35, स्वीडन की साब की ग्रिपेन और फ्रांस का राफेल विमान शामिल थे।
भारतीय वायुसेना द्वारा विमानों का परीक्षण किया गया और उनके मूल्य के आधार पर राफेल और यूरोफाइटर को शॉर्टलिस्ट किया गया। इनमें से यूरोफाइटर की कीमत काफी ज्यादा थी इसलिए राफेल विमान को हर स्थिति के अनुकूल समझा गया और इसे खरीदने का फैसला किया गया।
भारत की सुरक्षा में राफेल विमान किस तरह सहयोगी हो सकता है?
भारतीय वायुसेना में लड़ाकू विमानों की कमी हो दूर करने में राफेल विमान बहुत फायदेमंद होगा क्योंकि पाकिस्तान और चीन जैसे देशों से भारत देश की सीमाओं की सुरक्षा में राफेल बहुत सहयोगी साबित होगा।
इस विमान का सफल उपयोग अफगानिस्तान, इराक, सीरिया, लीबिया और माली में किया जा चुका है और ये स्पष्ट है कि राफेल विमान को भारत की वायुसेना में शामिल करके देश की सुरक्षा व्यवस्था को बहुत मजबूत बनाया जा सकेगा, खासकर देश की सीमाओं को।
उम्मीद है जागरूक पर राफेल विमान की खासियत कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आपके लिए फायदेमंद भी साबित होगी।