हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में हम स्टेनलेस स्टील (stainless steel) से बनी चीज़ों का इतना ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं कि इन्हें गिन पाना आसान नहीं होगा। चाहे खाना पकाने वाले बर्तन हो या लिफ्ट को ऊपर-नीचे ले जाने वाली रस्सियां हो, या फिर गैस और पेट्रोलियम को लाने वाले पाइप हो, ऐसी हज़ारों चीज़ें है जो स्टील से बनी होती है और उनके बिना हमारा काम ना घर में चल सकता है और ना ही घर के बाहर।
समंदर में चलने वाले जहाज भी स्टील से बने होते हैं और हमारा घर, सड़क पर दौड़ने वाली गाड़ियां, पुल, बाँध जैसे हर बड़े निर्माण में स्टील का ही हाथ होता है। ऐसे में स्टील के बारे में जानना काफी रोचक हो सकता है। तो चलिए, आज जानते हैं कि स्टील कैसे बनता है (steel kaise banta hai)।
स्टील यानी इस्पात, दो धातुओं से बना एक मिश्रण या मिश्र धातु है और जिन 2 धातुओं से मिलकर इस्पात बना होता है, वो हैं लोहा और कार्बन । लोहे की मजबूती से तो आप परिचित हैं लेकिन एकदम खरा लोहा मजबूत नहीं होता है, बल्कि अधिकतर धातुओं की तुलना में बहुत नाजुक होता है इसलिए इस शुद्ध लोहे का इस्तेमाल मजबूती और सख्ती वाले कामों में नहीं किया जा सकता।
कार्बन धातु नहीं है लेकिन जब इस कार्बन का छोटा-सा अंश पिघले हुए लोहे में मिलाया जाता है तो बनने वाला पदार्थ, कार्बन से बिलकुल अलग होता है और लोहे से कहीं ज्यादा मजबूत भी होता है जिसे स्टील कहते हैं।
इसका अर्थ ये है कि स्टील एक ऐसा मिश्रण है जिसमें अधिकांश मात्रा लोहे की है और 0.2 प्रतिशत से 2.14 प्रतिशत तक कार्बन मौजूद है। कार्बन के अलावा, जरुरत के अनुसार इसमें मैंगनीज, क्रोमियम, वैनेडियम और टंगस्टन भी मिलाये जाते हैं और ये सभी पदार्थ मिलकर इस मिश्र धातु को ना केवल कठोरता प्रदान करते हैं, बल्कि उसे मजबूत और टिकाऊ भी बनाते हैं।
लोहे में आवश्यक मात्रा में मिलायी गयी ये धातुएँ लोहे को कठोर बनाती है। लोहे में जितना ज्यादा कार्बन मिलाया जाता है, स्टील उतना ही कठोर बनता जाता है।
स्टेनलेस स्टील क्या है (stainless steel kya hai)
ऐसा स्टील जिसमें जंग ना लगे, उसे स्टेनलेस स्टील कहा जाता है। ये स्टील का ऐसा प्रकार है जो हवा, आर्गेनिक और इन-ऑर्गेनिक एसिड्स से भी खराब नहीं होता है। साधारण स्टील की तुलना में स्टेनलेस स्टील ज्यादा ताप सह सकता है। इसके लिए स्टील में क्रोमियम मिलाया जाता है।
स्टेनलेस स्टील बनाने के लिए स्टील में 15-20% क्रोमियम और 8-10% निकेल मिलाया जाता है। कई बार लोहे में ताम्बा, कोबाल्ट, टाइटेनियम, गंधक और नाइट्रोजन मिलाकर भी स्टेनलेस स्टील बनाया जाता है।
स्टेनलेस स्टील के अविष्कार का किस्सा काफी रोचक है। 1871 में हैरी ब्रियरले, बंदूक के बैरल के लिए ऐसा कुछ बनाना चाह रहे थे जो पानी से भी ख़राब ना हो और किसी केमिकल का भी उस पर कोई प्रभाव ना पड़े। उनकी इस कोशिश के चलते, उन्होंने अनजाने में और ग़लती से एक नयी प्रकार की मिश्र धातु बना डाली, जो थी स्टेनलेस स्टील।
पहले इसे रस्टलेस स्टील कहा गया लेकिन बाद में इसका नाम स्टेनलेस स्टील रख दिया गया। पहले स्टेनलेस स्टील में 0.24% कार्बन और 12.8% क्रोमियम मिलाया गया था।
तो दोस्तों, अब आप जान चुके हैं कि लोहे और कार्बन ने मिलकर स्टील जैसी मिश्र धातु बना डाली और दुनिया में 88% स्टील ऐसा है जिसे रिसाइकल किया जा सकता है और ये स्टील लोहे की तुलना में करीब 1000 गुना तक ज़्यादा मजबूत हो सकता है।
इससे भी ख़ास बात ये है कि जब इस स्टील में जंग लगने लगी तो हमने इस मुश्किल का हल भी निकाल लिया, स्टेनलेस स्टील के तौर पर। इसलिए तो कहते हैं कि “आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है।”
उम्मीद है स्टेनलेस स्टील क्या है (stainless steel kya hai, stainless steel kiska mishran hai) कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आपके लिए फायदेमंद भी साबित होगी।