आइये जानते हैं ट्रांसफार्मर क्या होता है। ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल इलेक्ट्रिसिटी के हर क्षेत्र में होता है। बड़े-बड़े पावर स्टेशन से लेकर घरों में होने वाले छोटे-छोटे आयोजनों में भी ट्रांसफार्मर किसी ना किसी रूप में काम में लिया जाता है और हर जगह ट्रांसफार्मर का एक ही काम होता है- बिजली को कम या ज्यादा करना।
ये ट्रांसफार्मर ऊर्जा या शक्ति को उत्पन्न नहीं करता है, न ही शक्ति का परिवर्तन करता है और न ही आवृत्ति को बदलता है। ट्रांसफार्मर एक ऐसी डिवाइस है जो प्रत्यावर्ती धारा यानी Alternating Current (AC) के वोल्टेज को कम और ज्यादा कर सकता है और एक सर्किट से दूसरे सर्किट में ट्रांसफर कर सकता है। ये ट्रांसफार्मर म्यूचुअल इण्डक्टेंस के सिद्धांत पर काम करता है।
ट्रांसफार्मर कैसे काम करता है-
- ट्रांसफार्मर में जब प्राइमरी वाइंडिंग में इलेक्ट्रिकल एनर्जी प्रवाहित की जाती है तो प्राइमरी वाइंडिंग के चारों तरफ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड बन जाता है। इस मैग्नेटिक फील्ड के प्रभाव से सैकेंडरी वाइंडिंग में विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है।
- ट्रांसफार्मर में आउटपुट विद्युत ऊर्जा लगभग समान ही रहती है लेकिन धारा और वोल्टेज का मान बदल जाता है।
- अगर ट्रांसफार्मर स्टेप अप होता है तो वोल्टेज ज्यादा और धारा कम हो जाती है जबकि ट्रांसफार्मर के स्टेप डाउन होने पर वोल्टेज कम और धारा ज्यादा हो जाती है।
ट्रांसफार्मर के प्रकार
कोर के आधार पर-
- शैल टाइप ट्रांसफार्मर
- क्रोड टाइप ट्रांसफार्मर
- बैरी टाइप ट्रांसफार्मर
फेज संख्या के आधार पर-
- सिंगल फेज ट्रांसफार्मर
- थ्री फेज ट्रांसफार्मर
आउटपुट के आधार पर-
- स्टेप अप (उच्चायी)
- स्टेप डाउन (अपचायी)
उपयोग के आधार पर-
- पावर ट्रांसफार्मर
- डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर
- मेजरमेंट ट्रांसफार्मर
- प्रोटेक्शन ट्रांसफार्मर
ट्रांसफार्मर के उपयोग – फ्रिज, टीवी, टेलीफोन और रेडियो में ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल किया जाता है, कारखानों में वेल्डिंग के लिए ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल होता है, वहीं डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर का उपयोग करंट डिस्ट्रीब्यूट करने में किया जाता है।
उम्मीद है जागरूक पर ट्रांसफार्मर क्या होता है कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आपके लिए फायदेमंद भी साबित होगी।