आइये जानते हैं माँ का दूध क्यों जरूरी है नवजात शिशु के लिए (stanpan kyu jaruri hai)। शिशु के जन्म के पश्चात स्तनपान एक स्वाभाविक क्रिया है। स्तनपान के बारे में सही ज्ञान के अभाव के कारण बच्चों में कुपोषण एवं संक्रमण जैसे रोग हो जाते है। स्तनपान की प्रक्रिया शिशु के लिए संरक्षण और संवर्धन का काम करता है।
माँ का दूध (maa ka doodh) बच्चे के लिए केवल पोषण ही नहीं बल्कि जीवन की अमृत धारा है, इससे मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। डॉक्टर कि सलाहनुसार शिशुओं को जन्म के पश्चात छ: महीने तक केवल माँ का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है।
स्तनपान (stabpan) के प्रति प्रोत्साहन और जन जागरूकता लाने के कारण अगस्त माह के प्रथम सप्ताह को पूरे विश्व में स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।
बाल्यकाल में होने वाली निमोनिया बीमारी को रोकने में माँ का दूध बहुत महत्वपूर्ण योगदान देता है। विश्व भर में सबसे अधिक बच्चों की मृत्यु का कारण निमोनिया है।
आकड़ों के अनुसार प्रतिवर्ष 1.6 करोड़ बच्चों की मृत्यु निमोनिया रोग से हो जाती है। इन आकड़ों की श्रेणी में अधिकांश विकासशील देश है। भारत वर्ष में प्रति वर्ष लगभग 40,000 से अधिक 5 वर्ष से कम के आयु के बच्चों की मृत्यु निमोनिया रोग से होती है।
केवल स्तनपान ही बच्चों को अनेक प्रकार के रोगों से विशेषकर निमोनिया से लड़ने की क्षमता प्रदान कर सकता है। माँ का दूध ही शिशु को अनेक पोषक तत्व देता है साथ ही इम्यूनोग्लोबिन, प्रतिरोधक तत्व भी प्रदान करता है।
इन तत्वों से शिशुओं को “वसननली” संबंधित रोगों से लड़ने की क्षमता मिलती है तथा इनके द्वारा बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है।
क्यों जरूरी है स्तनपान? (stanpan kyu jaruri hai)
- शिशु के लिए स्तनपान एक रक्षासूत्र कि तरह काम करता है। नवजात शिशु में रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति जन्म से नहीं होती है, शिशु को यह ताकत माँ के दूध से प्राप्त होती है। माँ के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक तत्त्व होता है, जो बच्चे की आंत में लौह तत्त्व को बांध लेता है और लौह तत्त्व के अभाव में शिशु की आंतों में रोगाणु पनप नहीं पाते है।
- माँ के दूध से साधारण जीवाणु बच्चे की आंत में पनपते हैं और रोगाणुओं से प्रतिस्पर्धा कर उन्हें पनपने नहीं देते क्योंकि माँ के दूध में रोगाणु नाशक तत्त्व मौजूद होते हैं।
- माँ की आंत में बाहरी वातावरण से पहुँचे रोगाणु, आंत में स्थित विशेष भाग के संपर्क में आते हैं, जो उन रोगाणु-विशेष के ख़िलाफ़ प्रतिरोधात्मक तत्त्व बनाते है। फिर ये तत्त्व एक विशेष नलिका थोरासिक डक्ट द्वारा सीधे माँ के स्तन तक पहुँचते हैं और दूध के द्वारा शिशु के पेट में जाते है और इस तरह बच्चा माँ का दूध पीकर सदा स्वस्थ रहता है।
- जिन शिशुओं को माँ का दूध बचपन से पर्याप्त मात्रा में नही मिलता उन बच्चों में बचपन से ही बीमारी शुरू हो जाती है जैसे मधुमेह, कुपोषण, निमोनिया, संक्रमण से दस्त आदि बीमारी अधिक होती है। बुद्धि का विकास भी स्तनपान करने वाले बच्चों के अपेक्षाकृत कम होता है। अगर बच्चा प्रीमेच्योर है, तो उसके लिए माँ का दूध अति आवश्यक हो जाता है, नही तो शिशु को बड़ी आंत का घातक रोग भी हो सकता है।
- गाय का दूध पीतल के बर्तन में ना उबालें नही तो शिशु को लीवर का रोग हो सकता है। इन सब फायदों के कारण ही माँ का दूध छह-आठ महीने तक शिशु के लिए श्रेष्ठ ही नहीं, जीवन रक्षक भी माना गया है।
माँ का दूध सर्वोतम आहार क्यों है?
माँ के दूध में सभी तरह के जरूरी पोषक तत्व जैसे – एंटी बाडीज, हार्मोन, प्रतिरोधक कारक और ऐसे आक्सीडेंट पूर्ण रूप से मौजूद होते हैं, जो नवजात शिशु के बेहतर विकास और स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है।
जन्म के पश्चात छः माह तक शिशु को माँ के दूध के सिवाय पानी का कोई ठोस या तरल आहार नहीं देना चाहिए क्योंकि माँ के दूध में प्रचुर मात्रा में पानी होता है। जिससे छः माह तक के बच्चे को हर मौसम में पानी की पूर्ति माँ के दूध से ही हो जाती है।
छः माह के अंतराल में शिशु को पानी का सेवन कराने से शिशु का दूध पीना कम हो जाता है। परिणाम स्वरूप शिशु में संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता है। प्रसव के कुछ अंतराल बाद बच्चे को स्तनपान करा देना चाहिए। क्योंकि माँ के प्रथम दूध (कोलोस्ट्रम) में गाढ़ा, पीला दूध आता है, जिसे शिशु जन्म से लेकर कुछ दिनों तक सेवन करता है।
इस प्रथम गाढ़े दूध में विटामिन, एन्टीबॉडी, अन्य पोषक तत्व काफी अधिक मात्रा में होते हैं जिससे बच्चों में रतौंधी जैसे रोगों के होने का खतरा भी टल जाता है।
क्या है स्तनपान के लाभ? (stanpan ke labh)
स्तनपान के अनेका-अनेक फ़ायदे है। नवजात शिशु के लिए माँ के दूध से बेहतर और कोई विकल्प हो ही नही सकता। इससे माँ और बच्चे को अनेक लाभ मिलते है। स्तनपान के कई फ़ायदे हैं-
- माँ का दूध शिशु के लिए हल्का व सुपाच्य होता है, जिससे शिशु की पेट से संबंधित बिमारियों से रक्षा होती है।
- स्तनपान से शिशु की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
- स्तनपान से दमा और कान सम्बन्धी बिमारियों पर नियंत्रण रहता है, क्योंकि माँ का दूध शिशु की नाक और गले में प्रतिरोधी त्वचा बना देता है।
- स्तनपान से शिशु के जीवन में उदर, श्वसन तंत्र के रोग, रक्त कैंसर, मधुमेह तथा उच्च रक्तचाप का ख़तरा कम हो जाता है।
- स्तनपान से शिशु की बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है क्योंकि इस प्रक्रिया से माँ और उसके शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता प्रगाढ़ होता है।
- स्तनपान कराने वाली माताओं को स्तन या गर्भाशय के कैंसर का ख़तरा ना के बराबर हो जाता है।
- रिसर्च बताती है कि लंबे समय तक स्तनपान करने वाले बच्चे मोटापे की चपेट में जल्दी नही आते।
- माँ के दूध से मिलने वाले तत्वों से शिशु का मेटाबोलिज्म बेहतर होता है।
- गर्भावस्था के दौरान या स्तनपान के वक्त माँ का जो भी खान-पान रहता है वह बाद में बच्चे के लिए भी पसंदीदा बन जाता है।
- माँ के दूध में पाए जाने वाले D.H.A.और A.A.फैटी एसिड मस्तिष्क की कोशिकाओं के विकास में अहम भूमिका निभाते है।
- स्तनपान से बच्चे का आई. क्यू. पूर्ण रूप से विकसित होता है।
नवजात शिशु के लिए माँ का दूध कितना अनिवार्य है, इससे आप अब अच्छे से परिचित है। लेकिन, अफसोस तो इस बात का है विगत कई वर्षो में महिलाओं में यह भ्रांति घर कर गई है कि स्तनपान से उनका फिगर बिगड़ता है जिससे महिलाएं स्तनपान से परहेज करने लगी है। अब सवाल यह उठता है कि, क्या वास्तव में महिलाओं में स्तनपान को लेकर मातृत्व के मायने बदल रहे है।
माताओं के भ्रम को दूर करने, स्तनपान के प्रति जागरूकता व महत्वता लाने के उद्देश्य से हमने यह पोस्ट प्रसारित कि है। हम मानते है कामकाजी महिलाओं के लिए यह बहुत ही मुश्किल दौर होता है लेकिन परिवार के सहयोग से आप अपने बच्चे के लिए एक बेहतर विकल्प का चुनाव करे। चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।
उम्मीद है जागरूक पर माँ का दूध क्यों जरूरी है नवजात शिशु के लिए (stanpan kyu jaruri hai, stanpan in hindi, navjat shishu ko stanpan, newborn baby ko dudh, stanpan ka mahatva) कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आपके लिए फायदेमंद भी साबित होगी।